


पुरी (ओडिशा) – भगवान जगन्नाथ के विश्वविख्यात मंदिर से मिलने वाला महाप्रसाद अब भक्तों को ऑनलाइन माध्यम से उपलब्ध नहीं होगा। मंदिर प्रशासन ने हाल ही में यह निर्णय लिया है, जिसके बाद देश-विदेश से ऑनलाइन प्रसाद बुक कराने वाले श्रद्धालुओं को निराशा हो सकती है।
मंदिर प्रशासन के अनुसार, महाप्रसाद वितरण की परंपरा सदियों से मंदिर परिसर और श्रीमंदिर के निकट स्थित आनंद बाज़ार में ही की जाती रही है। कोविड-19 महामारी के दौरान जब मंदिर में आमजन का प्रवेश प्रतिबंधित था, तब विशेष व्यवस्था के तहत डाक या कुरियर से महाप्रसाद भेजने की सेवा शुरू की गई थी। लेकिन अब सामान्य स्थिति लौटने के साथ प्रशासन का मानना है कि श्रद्धालु स्वयं दर्शन के लिए आएं और मंदिर में ही प्रसाद ग्रहण करें।
मंदिर प्रबंधन समिति के एक अधिकारी ने कहा, "महाप्रसाद सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि भगवान का आशीर्वाद है, जिसे परंपरा के अनुरूप ही ग्रहण किया जाना चाहिए।" इसके साथ ही, डाक या ऑनलाइन वितरण के दौरान गुणवत्ता, ताजगी और पवित्रता बनाए रखने में आने वाली कठिनाइयों को भी कारण बताया गया है।
भक्तों की मिश्रित प्रतिक्रिया
कुछ भक्तों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे प्रसाद की पवित्रता और पारंपरिक स्वरूप सुरक्षित रहेगा। वहीं, कई प्रवासी ओडिया परिवार और दूरदराज़ के श्रद्धालु निराश हैं, जिनके लिए ऑनलाइन माध्यम ही प्रसाद प्राप्त करने का सरल तरीका था।
आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व
पुरी के जगन्नाथ मंदिर का महाप्रसाद न केवल आध्यात्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। यह निर्णय स्थानीय विक्रेताओं और रसोइयों के लिए प्रत्यक्ष लाभकारी हो सकता है, क्योंकि इससे मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि संभावित है।